हम सभी ने कभी न कभी Falling Stars या टूटता हुआ तारा देखा ही होगा। पर असल में वो तारा नहीं होता वो उल्का होती है। जो हम रात को तारे देखते है वो असल में हमारी धरती के आकार से बहुत बड़े है और वो बहुत दूर भी है। हमारी पृथ्वी से सबसे नजदीक तारा सूर्य ही है सूर्य के बाद जो दूसरा तारा हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक है उसका नाम है Proxima centauri। चलिए तो विस्तार से जानते है कि हमें क्या नजर आता है जिसे हम Falling Stars कहते है।
क्या है असल में Falling Stars
हम सभी जब भी कोई जिसे हम Falling Stars कहते है को देखते है तो अपने मन में कोई न कोई इच्छा के बारे में सोच्ते है। ओर मानते है कि टूटता तारा देखने के बाद वो हमारी इच्छा पूरी हो जाएगी। पहले से ही इस घटना को बहुत शुभ माना गया है । पर इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण भी है। असल में वो कोई Falling Stars नहीं होता वह एक पत्थर का टुकड़ा या कोई अन्य पदार्थ होता है जो बहुत सी संख्या में हमारे सौरमंडल में घूम रहे होते है। इन टुकड़ों को वैज्ञानिक भाषा में उल्का कहते है।
क्यों चमकते है उल्का / why do meteors shine
ऐसे तो बहुत से उल्का सौरमंडल में घूम रहे है पर ऐसे वो चमकते नहीं है। पर जब कोई उल्का हमारी धरती के वायुमंडल में आ जाती है तो उस में हमारे वायुमंडल के फ्रिक्शन के कारण उस में आग लग जाती है। ओर वो एक आग का गोला बन जाती है। जलती उल्का की स्पीड के कारण उसक सिर और पूंछ बन जाती है। इसलिए हमें वो ऐसा नजर आता है। इसी उल्का को हम एक टूटता तारा कहते है। ज्यादातर यह एक बहुत छोटा टुकड़ा होता है।
क्या अंतर है उल्का और उल्कापिंड में / Difference between a meteor and a meteorite
जब भी कोई उल्का धरती के वायुमंडल में आती है तो उस में आग लग जाती है और वो जलना शुरू कर देती है। ज्यादातर उल्का वायुमंडल में ही जल कर खत्म हो जाती है। ज्यादातर ये हमारी आंखों के सामने ही खत्म होती है जल कर। इसी लिए कई बार ये हमारी आंखों के सामने आते ही गायब हो जाती है।
कई बार कुछ उल्का आकार में कुछ बड़ी होती है जो पूरी तरह जल नहीं पाती और वो हमारी धरती पर आ कर गिर जाती है इस गिरे हुए ओर जलने से बचे हुए टुकड़े को उल्कापिंड कहते है। अगर ज्यादा बड़ा उल्कापिंड हमारी धरती पर गिरता है तो हमारी धारी को भरी नुकसान हो सकता है। आज से लाखों वर्ष पहले धरती से डायनासोरों का अंत भी उल्का पिंड गिरने के कारण ही हुआ था।
क्या होती है उल्का बौछार / what is a meteor shower
यह वह समय होता है जब हमे नंगिआंखों से बहुत से उल्का नजर आती है उसे उल्का बौछार कहते है। यह अलग अलग स्थानों पर अलग अलग समय नजर आता है। जैसे अगर भारत की बात करें तो उल्का बौछार सबसे अधिक नवंबर में दिखाई देता है।
भारत में दिखने वाली उल्का बौछार
हमारे भारत में मुख्य रूप से 3 उल्का बौछार नजर आती है
- लियो मेटियोर शावर
- पेरसीड मेटियोर शावर
- जेमिनिड मेटियोर शावर
इन बौछारों के समय हमें आसमान में बहुत से उल्का एक साथ नजर आते है जो हमें एक बारिश की तरह नजर आता है।
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निष्कर्ष / Conclusion
उल्का को देखना सभी को बहुत ही अच्छा लगता है क्योंकि हम सब इसे बहुत ही शुभ मानते है। वास्तव में ये कोई तारा नहीं होता है ये बस इस पत्थर या कोई ओर पदार्थ हो सकता है। एक तारे का आकर बहुत बड़ा होता है। और तारों की दूरी हमारी धरती से बहुत दूर है सबसे नजदीक का तारा हमारा सूर्य ही है। इसलिए हमें कोई Falling Stars नजर नहीं आता बल्कि वो एक छोटा टुकड़ा होता है जिस में वायुमंडल में आने के कारण उसमें आग लग जाती है। जो हमें दिखाई देता है वह एक Falling Stars नहीं बल्कि वो एक उल्का होती है।
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