FATF क्या है और यह कैसे तय करता है किसी देश की आर्थिक स्थिति?

FATF, यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण जैसी अवैध वित्तीय गतिविधियों से निपटने के लिए बनाया गया है। 1989 में G7 शिखर सम्मेलन में पेरिस में इसकी स्थापना की गई थी। वर्तमान में,फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के 39 सदस्य देश और दो क्षेत्रीय संगठन (यूरोपीय संघ और खाड़ी सहयोग परिषद) हैं। इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक वित्तीय प्रणाली की अखंडता को बनाए रखना और अपराधों से जुड़े धन को रोकना है।

FATF का इतिहास

FATF की शुरुआत मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए हुई थी, लेकिन 2001 में 9/11 हमलों के बाद इसका दायरा बढ़ाकर आतंकवादी वित्तपोषण को शामिल किया गया। 2012 में इसने हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण को भी अपने कार्यक्षेत्र में जोड़ा। FATF 40 सिफारिशें (Recommendations) प्रदान करता है, जो वैश्विक मानक के रूप में कार्य करती हैं।

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FATF की भूमिका

FATF देशों के वित्तीय तंत्र की निगरानी करता है और यह सुनिश्चित करता है कि वे मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के खिलाफ प्रभावी उपाय लागू करें। यह जोखिम-आधारित दृष्टिकोण (Risk-Based Approach) पर जोर देता है, जिसके तहत देशों को अपने जोखिमों को पहचानकर संसाधनों का उपयोग करना होता है।

देशों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव

FATF देशों को दो सूचियों में वर्गीकृत करता है: ग्रे लिस्ट (बढ़ी हुई निगरानी वाले क्षेत्र) और ब्लैक लिस्ट (उच्च जोखिम वाले क्षेत्र)। इन सूचियों में शामिल होने का देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ता है।

ग्रे लिस्ट का प्रभाव

ग्रे लिस्ट में शामिल देशों को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के खिलाफ कमजोर माना जाता है। इससे देश को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (जैसे IMF, विश्व बैंक) से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है। विदेशी निवेश में कमी, व्यापार पर प्रतिबंध, और बाजार की तरलता में कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाए जाने के बाद उसकी अंतरराष्ट्रीय साख में सुधार हुआ।

ब्लैक लिस्ट का प्रभाव

ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों को गैर-सहकारी माना जाता है। वर्तमान में (फरवरी 2025), ईरान, म्यांमार, और उत्तर कोरिया इस सूची में हैं। इन देशों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाए जाते हैं, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान होता है।

FATF का मूल्यांकन प्रक्रिया

FATF देशों की वित्तीय प्रणाली का मूल्यांकन म्यूचुअल इवैल्यूएशन के माध्यम से करता है। यह प्रक्रिया तकनीकी अनुपालन और प्रभावशीलता के 11 तात्कालिक परिणामों (Immediate Outcomes) पर केंद्रित होती है। यदि किसी देश में कमियां पाई जाती हैं, तो उसे सुधार के लिए समयसीमा दी जाती है।

2025 में FATF के नवीनतम अपडेट्स

2025 में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्सने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली को प्रभावित कर रहे हैं।

फरवरी 2025 प्लेनरी की मुख्य बातें

फरवरी 2025 में आयोजित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स प्लेनरी में कई देशों की स्थिति में बदलाव हुआ। फिलीपींस को ग्रे लिस्ट से हटाया गया, जबकि नेपाल और लाओस को इसमें जोड़ा गया। क्रोएशिया और तंजानिया ने अपने कार्य योजनाओं को पूरा किया, जिसके लिए उनकी प्रशंसा की गई।

नए मानक और वित्तीय समावेशन

FATF ने सिफारिश 1 और इसकी व्याख्यात्मक नोट में संशोधन किए, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। यह बदलाव 1.4 अरब लोगों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए किया गया है।

नेतृत्व परिवर्तन

एलिसा डे आंदा माद्राज़ो (मेक्सिको) जून 2026 तक FATF की अध्यक्षता कर रही हैं। जुलाई 2025 से थॉमसन (यूके) उपाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

क्षेत्रीय सहयोग

FATF नौ क्षेत्रीय निकायों (FSRBs) के साथ मिलकर काम करता है, जैसे कि एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG), जिसमें भारत भी शामिल है। भारत ने 2024 में अपने म्यूचुअल इवैल्यूएशन में मजबूत AML/CFT ढांचा प्रदर्शित किया।

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भारत और FATF

भारत 2006 में पर्यवेक्षक के रूप में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स से जुड़ा और 2010 में पूर्ण सदस्य बना। भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के खिलाफ कड़े कानून लागू किए हैं, जैसे कि PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट)। 2024 के मूल्यांकन में भारत को मजबूत वित्तीय ढांचे के लिए सराहा गया, और यह ग्रे या ब्लैक लिस्ट में शामिल नहीं है।

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निष्कर्ष

FATF वैश्विक वित्तीय प्रणाली की रक्षा करने वाला एक महत्वपूर्ण संगठन है। इसकी ग्रे और ब्लैक लिस्ट देशों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती हैं, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय साख और निवेश पर असर पड़ता है। 2025 में FATF के अपडेट्स, जैसे वित्तीय समावेशन और नए देशों की निगरानी, वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत जैसे देशों का मजबूत प्रदर्शन FATF के मानकों को लागू करने की दिशा में एक सकारात्मक उदाहरण है।

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