Green Hydrogen: भारत का भविष्य का ईंधन और वैश्विक नेतृत्व की राह

Green Hydrogen एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पादित किया जाता है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, जैसे सौर या पवन ऊर्जा, का उपयोग करके पानी (H2O) को हाइड्रोजन (H2) और ऑक्सीजन (O2) में विभाजित किया जाता है। Green Hydrogen का उत्पादन कार्बन उत्सर्जन मुक्त होता है, जिससे यह ग्रे हाइड्रोजन (जो जीवाश्म ईंधन से बनता है) और ब्लू हाइड्रोजन (जो कार्बन कैप्चर के साथ बनता है) से अलग है। यह ऊर्जा क्षेत्र, उद्योग, और परिवहन को डीकार्बनाइज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हाइड्रोजन के प्रकार

ग्रीन हाइड्रोजन

यह जीवाश्म ईंधन, जैसे प्राकृतिक गैस या कोयले, से बनता है और कार्बन उत्सर्जन में योगदान देता है। यह सबसे आम और सस्ता हाइड्रोजन है, लेकिन पर्यावरण के लिए हानिकारक है।

ब्लू हाइड्रोजन

ब्लू हाइड्रोजन भी जीवाश्म ईंधन से बनता है, लेकिन कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) तकनीक का उपयोग करके उत्सर्जन को कम किया जाता है।

Green Hydrogen

ग्रीन हाइड्रोजन पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर करता है, जिससे यह सबसे पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है। यह उर्वरक, स्टील, और परिवहन जैसे क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन का विकल्प बन सकता है।

Green Hydrogen

भारत में Green Hydrogen की भूमिका

भारत ने 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता और 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। ग्रीन हाइड्रोजन  इस लक्ष्य को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत सरकार ने 2023 में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) शुरू किया, जिसका उद्देश्य 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन  उत्पादन क्षमता और 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करना है।

नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन

NGHM का लक्ष्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का वैश्विक केंद्र बनाना है। मिशन में निम्नलिखित प्रमुख पहलें शामिल हैं:

  • पायलट प्रोजेक्ट्स: परिवहन क्षेत्र में हाइड्रोजन-आधारित बसों और ट्रकों के लिए पांच पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं।
  • वित्तीय प्रोत्साहन: 2025-26 तक ग्रीन हाइड्रोजन हब्स के लिए ₹400 करोड़ और मोबिलिटी प्रोजेक्ट्स के लिए ₹496 करोड़ का आवंटन किया गया है।
  • नीतिगत समर्थन: अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन शुल्क माफी, रिन्यूएबल एनर्जी बैंकिंग, और ओपन एक्सेस जैसे प्रावधान लागू किए गए हैं।

2025 में Green Hydrogen पर नवीनतम अपडेट्स

2025 में भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन  क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, हालांकि कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं।

लागत में कमी

Green Hydrogen की लागत को 40% तक कम करने की उम्मीद है, जो ₹260-310 प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। यह कम लागत वाली नवीकरणीय ऊर्जा, मुफ्त ट्रांसमिशन शुल्क, और 5% जीएसटी जैसे नीतिगत समर्थन के कारण संभव हुआ है।

GAIL की पहल

जून 2025 में, GAIL ने विजयपुर में 4.3 टन प्रतिदिन की क्षमता वाला एक ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र शुरू किया, जो 99.999% शुद्ध हाइड्रोजन का उत्पादन करता है। यह संयंत्र इंदौर के सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में हाइड्रोजन मिश्रण का परीक्षण कर रहा है।

चुनौतियां

हालांकि, 2022 से घोषित 85% Green Hydrogen प्रोजेक्ट्स अभी तक शुरू नहीं हुए हैं, जिससे भारत के वैश्विक हब बनने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण हो गया है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

भारत ने सऊदी अरब, जर्मनी, और जापान जैसे देशों के साथ ग्रीन हाइड्रोजन  के लिए समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह निर्यात अवसरों और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देता है।

Green Hydrogen

Green Hydrogen के उपयोग

Green Hydrogen का उपयोग कई क्षेत्रों में हो रहा है:

औद्योगिक उपयोग

  • उर्वरक उत्पादन: ग्रीन अमोनिया, जो Green Hydrogen और नाइट्रोजन से बनता है, उर्वरक उद्योग में जीवाश्म ईंधन का विकल्प बन सकता है।
  • स्टील और सीमेंट: Green Hydrogen स्टील और सीमेंट उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन को कम करता है।

परिवहन

Green Hydrogen का उपयोग फ्यूल सेल वाहनों में किया जा रहा है। भारत में हाइड्रोजन बसों और ट्रकों के पायलट प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।

ऊर्जा भंडारण

Green Hydrogen नवीकरणीय ऊर्जा के दीर्घकालिक भंडारण के लिए उपयोगी है, जो सौर और पवन ऊर्जा की रुक-रुक कर उपलब्धता को संतुलित करता है।

भविष्य की संभावनाएं

भारत का लक्ष्य Green Hydrogen के उत्पादन, उपयोग, और निर्यात में वैश्विक नेता बनना है। मिशन के तहत, 2030 तक ₹8 लाख करोड़ के निवेश और 50 MMT ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी की उम्मीद है। इसके लिए, स्ट्रैटेजिक हाइड्रोजन इनोवेशन पार्टनरशिप (SHIP) जैसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी और कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

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निष्कर्ष

Green Hydrogen भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य का आधार बन रहा है। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और नीतिगत समर्थन के साथ, भारत इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हालांकि, प्रोजेक्ट्स को समय पर लागू करना और लागत को और कम करना महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। क्या आप मानते हैं कि Green Hydrogen भारत को नेट-ज़ीरो लक्ष्य की ओर ले जाएगा?

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