10 Interesting Facts about Thanjavur Temple इतिहास, वास्तुकला और रहस्य

थंजावुर, तमिलनाडु का सांस्कृतिक केंद्र, अपनी समृद्ध विरासत और भव्य मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इनमें से सबसे प्रमुख है Brihadeshwara Temple, जिसे स्थानीय रूप से Thanjavur Periya Kovil or Big Temple के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का प्रतीक है, बल्कि चोल वंश की वास्तुकला और इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण भी है। इस लेख में हम 10 facts about Thanjavur temple के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो इस मंदिर की महिमा, रहस्य और अनूठे तथ्यों को उजागर करेंगे।

बृहदेश्वर मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण चोल सम्राट राजा चोल प्रथम ने 1003 से 1010 ईस्वी के बीच करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे UNESCO World Heritage Site का दर्जा प्राप्त है।  Thanjavur temple का  पहला तथ्य यह है कि यह मंदिर Great Living Chola Temples का हिस्सा है, जिसमें गंगईकोंडा चोलपुरम और ऐरावतेश्वर मंदिर भी शामिल हैं।

चोल वंश की शक्ति का प्रतीक

मंदिर का निर्माण चोल वंश की समृद्धि और सैन्य शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था। मंदिर की दीवारों पर मौजूद शिलालेख राजा राजा चोल के दान, जैसे सोना, चांदी और नर्तकियों की नियुक्ति, का विवरण देते हैं। यह मंदिर चोल साम्राज्य की वैभवशाली राजधानी थंजावुर का गौरव रहा है।

1000 साल पुरानी विरासत

Thanjavur temple का  दूसरा तथ्य यह है कि यह मंदिर 2010 में अपनी 1000वीं वर्षगांठ मना चुका है। इस अवसर पर तमिलनाडु सरकार ने भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम और **भारतनाट्यम यज्ञ** का आयोजन किया था।

वास्तुकला का चमत्कार

बृहदेश्वर मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का सर्वोत्तम उदाहरण है। इसका विशाल **विमानम** (मंदिर का शिखर) और जटिल नक्काशी इसे विश्व स्तर पर प्रसिद्ध बनाती है। आइए, Thanjavur temple** के कुछ वास्तुशिल्प तथ्यों पर नजर डालें।

 विश्व का सबसे ऊंचा विमानम

मंदिर का विमानम 216 फीट ऊंचा है, जो इसे विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर शिखर बनाता है।  Thanjavur temple का  तीसरा तथ्य यह है कि शिखर के शीर्ष पर 80 टन वजनी एकल ग्रेनाइट पत्थर रखा गया है, जिसे स्थापित करने की तकनीक आज भी रहस्यमयी है।

छाया का रहस्य

Thanjavur temple का चौथा तथ्य मंदिर की छाया से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का विमानम दोपहर में कोई छाया नहीं बनाता। हालांकि, वैज्ञानिकों ने इसे एक ऑप्टिकल भ्रम बताया है, जो पत्थरों की विशेष व्यवस्था के कारण होता है।

 ग्रेनाइट से निर्मित पहला मंदिर

पांचवां तथ्य यह है कि बृहदेश्वर मंदिर विश्व का पहला पूर्ण रूप से ग्रेनाइट से बना मंदिर है। इसमें लगभग **1,30,000 टन** ग्रेनाइट का उपयोग हुआ, जो 50 मील दूर की खदानों से लाया गया था।

मंदिर की अनूठी विशेषताएं

बृहदेश्वर मंदिर की कई विशेषताएं इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं। 10 facts about Thanjavur templ** में इन विशेषताओं का उल्लेख आवश्यक है।

विशाल नंदी प्रतिमा

छठा तथ्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित नंदी प्रतिमा से संबंधित है। यह 16 फीट लंबी और 13 फीट ऊंची प्रतिमा एक ही ग्रेनाइट पत्थर से तराशी गई है और भारत की सबसे बड़ी नंदी मूर्तियों में से एक है।

10 Interesting Facts about Thanjavur Temple

नृत्य और कला का केंद्र

सातवां तथ्य यह है कि मंदिर की दीवारों पर नाट्य शास्त्र के नृत्य मुद्राओं को दर्शाने वाली नक्काशी मौजूद है। यह मंदिर चोल काल में **भारतनाट्यम** और अन्य कलाओं का केंद्र था।

शिलालेख और चित्रकला

आठवां तथ्य मंदिर की दीवारों पर मौजूद तमिल और संस्कृत शिलालेख हैं, जो चोल प्रशासन और दान का विवरण देते हैं। साथ ही, मंदिर में चोल और नायक काल की फ्रेस्को चित्रकलाएं भी हैं, जो आज भी जीवंत हैं।

मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

बृहदेश्वर मंदिर केवल एक वास्तुशिल्प चमत्कार नहीं, बल्कि एक सक्रिय धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र भी है। Thanjavur temple में इसका महत्वपूर्ण स्थान है।

महाशिवरात्रि उत्सव

नौवां तथ्य यह है कि मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि के दौरान ब्रह्म नाट्यंजलि उत्सव आयोजित होता है, जिसमें देश-विदेश के नर्तक अपनी कला प्रस्तुत करते हैं।

दान और सेवा

दसवां तथ्य मंदिर की परोपकारी परंपरा से जुड़ा है। चोल काल से ही यह मंदिर तीर्थयात्रियों और भक्तों को मुफ्त भोजन प्रदान करता रहा है, जो आज भी जारी है।

थंजावुर मंदिर क्यों है खास?

10 facts about Thanjavur temple के माध्यम से हमने देखा कि यह मंदिर इतिहास, वास्तुकला, और संस्कृति का अनूठा संगम है। यह मंदिर न केवल चोल वंश की शक्ति और वैभव का प्रतीक है, बल्कि आधुनिक इंजीनियरों के लिए भी एक रहस्यमयी पहेली है। इसका भव्य शिखर, विशाल नंदी, और प्राचीन शिलालेख इसे विश्व के सबसे महत्वपूर्ण स्मारकों में से एक बनाते हैं।

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निष्कर्ष

बृहदेश्वर मंदिर, जिसे थंजावुर का बिग टेम्पल कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और वास्तुकला का गौरव है। 10 facts about Thanjavur temple के इस लेख में हमने इसके ऐतिहासिक, वास्तुशिल्प, और सांस्कृतिक पहलुओं को जाना। यदि आप तमिलनाडु की यात्रा पर हैं, तो इस मंदिर को अवश्य देखें, जो आपको चोल वंश की महानता का अनुभव कराएगा।

हमें आशा है आपको यह 10 Interesting Facts about Thanjavur Temple इतिहास, वास्तुकला और रहस्य के बारे में आर्टिकल जानकारीपूर्ण लगा होगा | अगर आपका कोई सवाल है तो आप हमें Contact कर सकते है | आप हमें Instagram पर भी contact कर सकते है|

FAQ

**1. थंजावुर मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?**
थंजावुर मंदिर, जिसे बृहदेश्वर मंदिर कहा जाता है, का निर्माण चोल सम्राट **राजा राजा चोल प्रथम** ने 1003-1010 ईस्वी में करवाया था।

**2. 10 facts about Thanjavur temple में छाया का रहस्य क्या है?**
ऐसा माना जाता है कि मंदिर का विमानम दोपहर में छाया नहीं बनाता, जो पत्थरों की विशेष व्यवस्था के कारण होता है। हालांकि, वैज्ञानिक इसे एक ऑप्टिकल भ्रम मानते हैं।

**3. बृहदेश्वर मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा कब मिला?**
बृहदेश्वर मंदिर को 1987 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ।

**4. थंजावुर मंदिर की नंदी प्रतिमा की क्या खासियत है?**
मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित नंदी प्रतिमा एक ही ग्रेनाइट पत्थर से बनी है और यह 16 फीट लंबी व 13 फीट ऊंची है।

**5. थंजावुर मंदिर में कौन से उत्सव आयोजित होते हैं?**
मंदिर में **महाशिवरात्रि** के दौरान **ब्रह्म नाट्यंजलि उत्सव** आयोजित होता है, जिसमें भारतनाट्यम नर्तक अपनी कला प्रस्तुत करते हैं।

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